मानव की चेतना ही उसे पशुओं से पृथक करती है। यदि आपने मानव रूप् में जन्म लिया है तो आपको संवेदन शीलता एक ईश्वरीय वरदान के रूप में प्राप्त हुई है, और अगर आपको ईश्वर ने दूसरों के लिए कुछ करने हेतु सक्षम बनाया है तो आपका यह कर्तव्य है कि आप मानव मात्र की गरिमा को पुनः प्रतिष्ठित करें व उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। सन् 2001 में छत्तीसगढ़ बनने के पश्चात सन् 2005 में जब मैं ने प्रथम बार छत्तीसगढ़ के वित्तमंत्री के रूप में कार्य करना प्रारंभकिया, तो मुझे महसूस हुआ कि इस आकार लेते-बढ़ते हुए राज्य को मजबूती प्रदान करने के लिए एक सुदृढ़ आर्थिक व वित्तीय ढांचा प्रदान करना आवश्यक है।
अतः कुशल वित्तीय प्रबंधन व कर ढांचे के विस्तार के द्वारा मैंने इस राज्य को एक मजबूत वित्तीय आकार प्रदान करने का प्रयास किया। सन् 2008 से 2013 के मेरे द्वितीय कार्यकाल के दौरान मुझे छत्तीसगढ़ राज्य के स्वास्थ्यमंत्री के रूप् में छत्तीसगढ़की जनता की सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। छत्तीसगढ़ की कठिन भौगोलिक संरचना व विषम परिस्थितियों को देखकर मुझे यह महसूस हुआ कि छत्तीसगढ़ के सुदूर अंचलों तक स्वास्थ्य सेवायें पहुचाने हेतु नवीनतम तकनीक का प्रयोग किया जाना अतिआवश्यक है। अतः मेरे इस कार्यकाल में मैंने "प्रोद्योगिकी" को "जन-प्रोद्योगिकी" में बदलने की कवायत प्रारंभ की। "108-संजीवनी एक्सप्रेस, "102-महतारी एक्सप्रेस, "104- निःशुल्क चिकित्सकीय परामर्श, "जनशिकायत केन्द् इसी दिशा में मेरे कुछ प्रयास रहे, जिनके बहुत बेहतर परिणाम प्राप्त हुए। अपने इस पूरे राजनीतिक जीवनकाल में जनहित कार्यों के लिए प्रतिबद्ध रहा हूं और हमेशा जनसेवा के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ हूं।
Copyright © 2016-2024 Amar Agrawal. All Rights Reserved