मानव की चेतना ही उसे पशुओं से पृथक करती है। यदि आपने मानव रूप् में जन्म लिया है तो आपको संवेदन शीलता एक ईश्वरीय वरदान के रूप में प्राप्त हुई है, और अगर आपको ईश्वर ने दूसरों के लिए कुछ करने हेतु सक्षम बनाया है तो आपका यह कर्तव्य है कि आप मानव मात्र की गरिमा को पुनः प्रतिष्ठित करें व उसे अक्षुण्ण बनाये रखें। सन् 2001 में छत्तीसगढ़ बनने के पश्चात सन् 2005 में जब मैं ने प्रथम बार छत्तीसगढ़ के वित्तमंत्री के रूप में कार्य करना प्रारंभकिया, तो मुझे महसूस हुआ कि इस आकार लेते-बढ़ते हुए राज्य को मजबूती प्रदान करने के लिए एक सुदृढ़ आर्थिक व वित्तीय ढांचा प्रदान करना आवश्यक है।